जलहरण घनाक्षरी
जलहरण घनाक्षरी
8 8 8 8 कुल 32 वर्ण
16 ,16 पर यति अनिवार्य
कुल 4 चरण, अंत लघु-लघु से
चमचम चमकत, चलत चपल चित;
खोज लेत सपने में, अपना सुघर घर।
कोई बात करे या न, करे कोई फर्क नहीं;
चपला के चेहरे से, बहता है मधु सर।
मह मह महकत,दुनिया को खींच लेत;
चंचला के गोरे गाल, चूम रहा मधुकर।
चह चह चहकत,फुदकत यत्र -तत्र ;
पंछी बन विचरत,सुगनी गगन भर।
लखत चलत अति, प्रेमपूर्ण भाव बन;
मोह लेत जगती को,निज अंक भर कर।
चित्त का विराट रूप, प्रेम का अथाह सिंधु ;
कोमलांग सुंदरम, उदार भावना सुघर।
Renu
25-Jan-2023 03:55 PM
👍👍🌺
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